येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।
वैसे तो हम सभी हिन्दू रक्षाबंधन मनाते है और हर भाई अपने बहन की रक्षा का प्रण करता है। इस त्योहार को हम भाई बहन के प्रेम और एक दूसरे की रक्षा का पर्व मानते थे।
जब मैंने शाखा में जाना प्रारम्भ किया तब हमें पता चला कि रक्षा बंधन बहुत ही बड़ा पर्व है। यह पर्व समाज की सुरक्षा का पर्व है, यह पर्व संगठित होने का पर्व है।
राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ में उत्सव
उत्सव दो शब्दों से मिलकर बना है- उत्त + सव
उत्त का अर्थ श्रेष्ठ या चरम होता है वही सव का अर्थ यज्ञ, आनंद आदि है अर्थात उत्सव का अर्थ आनंद को चरम सीमा तक ले जाना।
आरएसएस मेंं स्वयंसेवक कुल 6 उत्सव
मनाते है
रक्षाबंधन समरसता का प्रतीक है, सभी ऊच-नीच और भेदभाव की दीवार को गिराने के लिए स्वयंसेवक समाज के साथ मिलकर समाज के सभी वर्गों में जाकर रक्षा बंधन बांधते है और एक दूसरे की रक्षा का प्रण लेते है।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।
वैसे तो हम सभी हिन्दू रक्षाबंधन मनाते है और हर भाई अपने बहन की रक्षा का प्रण करता है। इस त्योहार को हम भाई बहन के प्रेम और एक दूसरे की रक्षा का पर्व मानते थे।
जब मैंने शाखा में जाना प्रारम्भ किया तब हमें पता चला कि रक्षा बंधन बहुत ही बड़ा पर्व है। यह पर्व समाज की सुरक्षा का पर्व है, यह पर्व संगठित होने का पर्व है।
राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ में उत्सव
उत्सव दो शब्दों से मिलकर बना है- उत्त + सव
उत्त का अर्थ श्रेष्ठ या चरम होता है वही सव का अर्थ यज्ञ, आनंद आदि है अर्थात उत्सव का अर्थ आनंद को चरम सीमा तक ले जाना।
आरएसएस मेंं स्वयंसेवक कुल 6 उत्सव
मनाते है
- विजयादशमी
- मकरसंक्रांति
- वर्ष प्रतिपदा
- हिन्दू साम्राज्य दिवस
- गुरु पूर्णिमा
- रक्षा बंधन
रक्षाबंधन समरसता का प्रतीक है, सभी ऊच-नीच और भेदभाव की दीवार को गिराने के लिए स्वयंसेवक समाज के साथ मिलकर समाज के सभी वर्गों में जाकर रक्षा बंधन बांधते है और एक दूसरे की रक्षा का प्रण लेते है।