Sunday, 11 November 2018

युगों युगों से बहती आई हिन्दु संस्कृति धारा - संघ गीत

युगों युगों से बहती आई हिन्दु संस्कृति धारा,
इससे ही एकात्म हुआ है सारा राष्ट्र हमारा

वेदों की पावन धरती यह, देवों ने अवतार लिये,
राम, कृष्ण, गौतम, नानक ने अमृत्सम सुविचार दिए,
एक सूत्र में पिरो सभी को, दिया स्नेह सहारा
इससे ही एकात्म हुआ है सारा राष्ट्र हमारा

वनवासी, गिरिवासी वंचित, बन्धु सहोदर हैं अपने,
सबको लेकर साथ चलें हम, पूर्ण करें सबके सपने,
समरस जीवन से टूटेगी, भेदभाव की कारा
इससे ही एकात्म हुआ है सारा राष्ट्र हमारा

नारी का सम्मान यहाँ की, गौरवशाली परम्परा,
मातृशक्ति के संस्कारों से, पोषित है यह पुण्य धरा,
त्याग प्रेम के आदर्शों ने, भारत भाग्य संवारा
इससे ही एकात्म हुआ है सारा राष्ट्र हमारा

युगों-युगों से बहती आई हिन्दु संस्कृति धारा
इससे ही एकात्म हुआ है सारा राष्ट्र हमारा !!

Saturday, 10 November 2018

धर्म रक्षा हेतु बलिदान : गुरु तेगबहादुर 11 नवम्बर


एक बार सिखों के नवें गुरु श्री तेगबहादुर जी हर दिन की तरह दूर-दूर से आये भक्तों से मिल रहे थे। लोग उन्हें अपनी निजी समस्याएँ तो बताते ही थे; पर मुस्लिम अत्याचारों की चर्चा सबसे अधिक होती थी। मुस्लिम आक्रमणकारी हिन्दू गाँवों को जलाकर मन्दिरों और गुरुद्वारों को भ्रष्ट कर रहे थे। नारियों का अपमान और जबरन धर्मान्तरण उनके लिए सामान्य बात थी। गुरुजी सबको संगठित होकर इनका मुकाबला करने का परामर्श देते थे।

पर उस दिन का माहौल कुछ अधिक ही गम्भीर था। कश्मीर से आये हिन्दुओं ने उनके दरबार में दस्तक दी थी। वहाँ जो अत्याचार हो रहे थे, उसे सुनकर गुरुजी की आँखें भी नम हो गयीं। वे गहन चिन्तन में डूब गये। रात में उनके पुत्र गोविन्दराय ने जब चिन्ता का कारण पूछा, तो उन्होंने सारी बात बताकर कहा - लगता है कि अब किसी महापुरुष को धर्म के लिए बलिदान देना पड़ेगा; पर वह कौन हो, यही मुझे समझ नहीं आ रहा है।

गोविन्दराय ने एक क्षण का विलम्ब किये बिना कहा - पिताजी, आज आपसे बड़ा महापुरुष कौन है ? बस, यह सुनते ही गुरु जी के मनःचक्षु खुल गये। उन्होंने गोविन्द को प्यार से गोद में उठा लिया। अगले दिन उन्होंने कश्मीरी हिन्दुओं को कह दिया कि औरंगजेब को बता दो कि यदि वह गुरु तेगबहादुर को मुसलमान बना ले, तो हम सब भी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे।

कश्मीरी हिन्दुओं से यह उत्तर पाकर औरंगजेब प्रसन्न हो गया। उसे लगा कि यदि एक व्यक्ति के मुसलमान बनने से हजारों लोग स्वयं ही उसके पाले में आ जायेंगे, तो इससे अच्छा क्या होगा ? उसने दो सरदारों को गुरुजी को पकड़ लाने को कहा। गुरुजी अपने पाँच शिष्यों भाई मतिदास, भाई सतिदास, भाई दयाला, भाई चीमा और भाई ऊदा के साथ दिल्ली चल दिये।

मार्ग में सब जगह हिन्दुओं ने उनका भव्य स्वागत किया। इस पर औरंगजेब ने आगरा में उन्हें गिरफ्तार करा लिया। उन्हें लोहे के ऐसे पिंजड़े में बन्द कर दिया गया, जिसमें कीलें निकली हुई थीं। दिल्ली आकर गुरुजी ने औरंगजेब को सब धर्मावलम्बियों से समान व्यवहार करने को कहा; पर वह कहाँ मानने वाला था।

उसने कोई चमत्कार दिखाने को कहा; पर गुरुजी ने इसे स्वीकार नहीं किया। इस पर उन्हें और उनके शिष्यों को शारीरिक तथा मानसिक रूप से खूब प्रताड़ित किया गया; पर वे सब तो आत्मबलिदान की तैयारी से आये थे। अतः औरंगजेब की उन्हें मुसलमान बनाने की चाल विफल हो गयी।

सबसे पहले नौ नवम्बर को भाई मतिदास को आरे से दो भागों में चीर दिया गया। अगले दिन भाई सतिदास को रुई में लपेटकर जलाया गया। भाई दयाला को पानी में उबालकर मारा गया। गुरुजी की आँखों के सामने यह सब हुआ; पर वे विचलित नहीं हुए। अन्ततः 11 नवम्बर, 1675 को दिल्ली के चाँदनी चौक में गुरुजी का भी शीश काट दिया गया। जहाँ उनका बलिदान हुआ, वहाँ आज गुरुद्वारा शीशग॰ज विद्यमान है।

औरंगजेब हिन्दू जनता में आतंक फैलाना चाहता था; पर गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान से हिन्दुओं में भारी जागृति आयी। उनके बारे में कहा गया कि उन्होंने सिर तो दिया; पर सार नहीं दिया। आगे चलकर उनके पुत्र दशम गुरु गोविन्दसिंह जी ने हिन्दू धर्म की रक्षार्थ खालसा पन्थ की स्थापना की।

Saturday, 3 November 2018

संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो

संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो।
भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो॥

युग के साथ मिल के सब, कदम बढ़ाना सीख लो।
एकता के स्वर में गीत, गुनगुनाना सीख लो।
भूलकर भी मुख में, जाति-पंथ की न बात हो।
भाषा, प्रांत के लिए, कभी न रक्तपात हो॥
फूट का भरा घड़ा है, फोड़कर बढ़े चलो ॥
संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो।
भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो॥

आ रही है आज, चारों ओर से यही पुकार
हम करेंगे त्याग, मातृभूमि के लिए अपार॥
कष्ट जो मिलेंग, मुस्कुराकर सब सहेंगे हम।
देश के लिए सदा, जियेंगे और मरेंगे हम।
देश का ही भाग्य, अपना भाग्य है, यह सोच लो॥२॥

संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो।
भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो॥

Thursday, 1 November 2018

हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार

          हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार।
अर्पिता कर दो तन-मन-धन, मांग रहा बलिदान वतन,
अगर देश के काम न आए तो जीवन बेकार।

सोचने का समय गया, उठो लिखो इतिहास नया,
बंसी फेंको और उठा लो हाथो में तलवार।

तूफानी गति रुके नही, शीश कटे पर झुके नही,
तने हुए माथे के सम्मुख ठहर न पाती हार।

काँप उठे धरती अम्बर, और उठा लो ऊंचा स्वर,
कोटि कोटि कंठों से गूंजे धरम की जे जयकार।

हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे

संघ के गीत राष्ट्रभक्ति से भरे हुए होते है और हममे नई ऊर्जा का संचार करते है----

हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे 
संगठन का भाव भरते जा रहे।।

यह सनातन राष्ट्र मंदिर है यहां, 
वेद की पावन ऋचाएं गूंजती;
प्रकृति का वरदान पाकर शक्तियां
देव निर्मित इस धरा को पूजती।
हम स्वयं देवत्व गढ़ते जा रहे;
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे।।

राष्ट्र की जो चेतना सोई पड़ी,
हम उसे फिर से जगाने आ गए;
परम पौरुष की पताका हाथ ले,
क्रांति के नवगीत गाने आ गए।
विघ्न बाधा शैल चढ़ते जा रहे;
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे।।

हम करें युवाओं का आह्वान फिर,
शक्ति का नव ज्वार पैदा हो सके;
राष्ट्र रक्षा का महा अभियान ले,
संगठन भी तीव्रगामी हो सके।
लक्ष्य का संधान करते जा रहे;
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे।।



भारत माता की जय