हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार।
अर्पिता कर दो तन-मन-धन, मांग रहा बलिदान वतन,
अगर देश के काम न आए तो जीवन बेकार।
सोचने का समय गया, उठो लिखो इतिहास नया,
बंसी फेंको और उठा लो हाथो में तलवार।
तूफानी गति रुके नही, शीश कटे पर झुके नही,
तने हुए माथे के सम्मुख ठहर न पाती हार।
काँप उठे धरती अम्बर, और उठा लो ऊंचा स्वर,
कोटि कोटि कंठों से गूंजे धरम की जे जयकार।
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