संघ के गीत राष्ट्रभक्ति से भरे हुए होते है और हममे नई ऊर्जा का संचार करते है----
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे
संगठन का भाव भरते जा रहे।।
यह सनातन राष्ट्र मंदिर है यहां,
वेद की पावन ऋचाएं गूंजती;
प्रकृति का वरदान पाकर शक्तियां
देव निर्मित इस धरा को पूजती।
हम स्वयं देवत्व गढ़ते जा रहे;
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे।।
राष्ट्र की जो चेतना सोई पड़ी,
हम उसे फिर से जगाने आ गए;
परम पौरुष की पताका हाथ ले,
क्रांति के नवगीत गाने आ गए।
विघ्न बाधा शैल चढ़ते जा रहे;
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे।।
हम करें युवाओं का आह्वान फिर,
शक्ति का नव ज्वार पैदा हो सके;
राष्ट्र रक्षा का महा अभियान ले,
संगठन भी तीव्रगामी हो सके।
लक्ष्य का संधान करते जा रहे;
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे।।
भारत माता की जय
बहुत भाव पूर्ण गीत है। बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteसंघ का यह गीत गाते जारहे हैं,
कर्म-पथ पर स्वयं बढ़ते जारहे हैं।
राष्ट्र-हित सब बान्धवों का,
आह्वान करते जा रहे हैं।
विजय के सोपानों पर हम,
भगवा-ध्वज फहराते ही हम जा रहे हैं।
चीन-पाकिस्तान हद में ही रहो तुम,
युवा-भारत पंख फैला तीव्र-गति से आ रहा है।
जय-हिन्द,जय भारत ।